भगोड़े नित्यानंद के “कैलासा” भ्रमजाल का पर्दाफाश! जानें कैसे इस स्वयंभू बाबा ने भक्तों व अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को धोखा दिया। Kailasa Exposed!
लखनऊ, भारत – भारत से फरार चल रहा स्वयंभू बाबा स्वामी नित्यानंद, जिसका असली नाम अरुणाचलम राजसेकरन है, एक बार फिर सुर्खियों में है। उस पर हजारों भक्तों को धोखा देने के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र सहित कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को भी छलावा देने का आरोप है। नित्यानंद ने भारत से भागकर “कैलासा” नामक एक काल्पनिक देश की स्थापना की घोषणा की है, जिसे वह एक संप्रभु हिंदू राष्ट्र बताता है।
Kailasa Exposed: एक डिजिटल भ्रम
नित्यानंद का दावा है कि कैलासा का अपना संविधान, पासपोर्ट, ध्वज, राष्ट्रगान, मुद्रा और सरकारी विभाग हैं। हालांकि, वास्तविकता यह है कि कैलासा का कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है और यह केवल एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है। इस काल्पनिक देश ने विभिन्न देशों में गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के माध्यम से धन जुटाने और अधिकारियों को भ्रमित करके अंतरराष्ट्रीय पहचान हासिल करने का प्रयास किया है।
गंभीर आरोप और गिरफ्तारी से पलायन
नित्यानंद पर यौन उत्पीड़न, बच्चों के साथ दुर्व्यवहार और हत्या जैसे कई गंभीर आरोप लगे हैं। उसका विवादास्पद जीवन तमिलनाडु में अरुणाचलम राजसेकरन के रूप में शुरू हुआ, जिसने 17 साल की उम्र में तपस्या करनी शुरू की और खुद को एक प्रबुद्ध गुरु के रूप में प्रस्तुत किया। उसने योग, आध्यात्मिकता और चिकित्सा चमत्कारों के झूठे वादे करके भक्तों को लुभाया। 2010 में एक विवादास्पद वीडियो वायरल होने के बाद उस पर लगे आरोपों की संख्या बढ़ गई, लेकिन भारत में ऐसे झूठे बाबाओं को अक्सर मिलने वाले समर्थन के कारण वह पिछली शिकायतों के बावजूद भी लोकप्रिय बना रहा।
2018 में, नित्यानंद भारत से भाग गया और पहले कनाडा में राजनीतिक शरण लेने का असफल प्रयास किया, जिसके बाद वह अमेरिका में छिप गया। उसने दावा किया कि वह अपने ‘देश’ कैलासा का “स्वतंत्र सम्राट” है और यह हिंदुओं के लिए एक नया सुरक्षित ठिकाना है।

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भ्रम और झूठे दावे
नित्यानंद ने बेतुके दावे किए, जैसे जानवरों को भाषण देना सिखाना और लोगों को ‘तीसरी आंख’ देना। उसने विज्ञान का निराधार विरोध भी किया। कैलासा के प्रतिनिधियों ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जिससे कई देशों के अधिकारियों में भ्रम पैदा हुआ।
एक घटना में, नित्यानंद ने कथित तौर पर बोलीविया में अमेज़ॅन के आदिवासियों से भूमि पट्टे पर लेने का प्रयास किया। हालांकि, इस योजना का पर्दाफाश हो गया, जिसके बाद स्थानीय सरकार ने पट्टों को रद्द कर दिया और संबंधित व्यक्तियों को गिरफ्तार कर लिया।
वर्तमान स्थिति और सबक
स्वामी नित्यानंद अभी भी फरार है, लेकिन उसकी धोखाधड़ी और गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं। भारत और अन्य देशों में उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई चल रही है।
यह मामला न केवल एक धोखाधड़ी की घटना है, बल्कि समाज में गहरे बैठे अंधविश्वास, अज्ञानता और धार्मिक भावनाओं के राजनीतिक उपयोग की भी सच्चाई उजागर करता है। यह हमें सचेत करता है कि ऐसे धोखेबाज बाबाओं से बचने के लिए ज्ञान और सतर्कता आवश्यक है। डिजिटल साक्षरता और सामान्य जागरूकता आज के समय में बहुत महत्वपूर्ण है ताकि हम झूठे वादों और भ्रामक आध्यात्मिक गुरुओं के जाल में न फंसें।