Gold Price Hike 2025: महंगे दामों पर भी भारतीय क्यों कर रहे सोने में इन्वेस्ट?

Gold Price Hike 2025: Why are Indians investing in gold even at high prices?

Gold Price Hike 2025: दिसंबर 2024 से सोने की स्पॉट कीमत 18 प्रतिशत चढ़ी है, World Gold Council रिपोर्ट के मुताबिक, और कमजोर रुपये ने घरेलू भाव 64,000 रुपये प्रति दस ग्राम के पार पहुंचा दिए। फेडरल रिजर्व की दर कटौती अटकलें, पश्चिम एशिया का तनाव, साथ ही चीन की ग्रोथ ने इसे सुरक्षित परिसंपत्ति बनाकर खरीदारी बढ़ा दी।

इन वैश्विक कारकों ने घरेलू ज्वैलर्स को हेजिंग बढ़ाने पर मजबूर किया, जिससे बाज़ार में आपूर्ति घट गई। सोने के आयात पर संभावित कस्टम ड्यूटी की चर्चा भी थोक खरीदारों को ‘अब या कभी नहीं’ वाली मानसिकता दे रही है। नतीजा: कीमत बढ़ते ही डिमांड घटने के बजाय इन स्थितियों में और उछल रही है।

महंगाई के बावजूद चमक नहीं घटी

पिछले चार वर्षों में खुदरा महंगाई 6 प्रतिशत के आसपास रही, फिर भी भारतीय परिवारों ने सोने की खरीद का बजट कम नहीं किया। विश्लेषकों का मानना है कि भोजन और ईंधन की कीमत बढ़ने पर लोग विलासिता पर खर्च घटाते हैं, मगर सोना भावी सुरक्षा के भावनात्मक मूल्य के कारण प्राथमिकता बना रहता है।

अभी ‘फ्लेक्सी पेमेंट’ योजनाओं और ईएमआई गहनों ने कम आय वर्ग को भी बाज़ार में टिकाए रखा है। ग्राहक महीने दो हजार रुपये जमा कर 11वें महीने में बिना मेकिंग चार्ज सोना उठा रहे हैं। इस तरह महंगाई का बोझ किस्तों में बंट जाता है, जबकि उच्च रेट का फायदा निवेशक को ही मिलता है।

युवाओं का नया निवेश फॉर्मूला

मिलेनियल और जेन-ज़ी अब पारंपरिक बिस्कुट या गहनों से ज्यादा ‘एसआईपी इन गोल्ड’ को तरजीह दे रहे हैं। म्यूचुअल फंड ग्रीन गोल्ड ईटीएफ, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड और पेमेंट-ऐप आधारित डिजिटल सोना महीने दस ग्राम तक खरीदने की सुविधा दे रहे हैं। छोटे-छोटे ऑटो-डेबिट उन्हें बाजार की उतार-चढ़ाव से डरने नहीं देते, भारी नुकसान की आशंका भी।

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि 2025 में गोल्ड बॉन्ड पर 2.5 प्रतिशत सालाना ब्याज, और मैच्योरिटी पर पूंजीगत लाभ कर से छूट, युवाओं को आकर्षित करेगी। डिजिटल मार्ग पारदर्शी है: 24-कैरेट शुद्धता, आरबीआई गारंटी और लोकर शुल्क शून्य। यही कारण है कि हाइब्रिड पोर्टफोलियो में 15 प्रतिशत जगह सोने को मिलना आम बात हो रही है।

डिजिटल गोल्ड बनाम फिजिकल गोल्ड

फिजिकल गोल्ड में भरोसा तो है, पर चोरी, शुद्धता और स्टोरेज की चिंता निवेशक को परेशान करती है। इसके विपरीत डिजिटल गोल्ड 99.9 प्रतिशत शुद्धता के साथ सेबी-रजिस्टर्ड ट्रस्टी के वॉल्ट में रखा जाता है। खरीदार ऐप पर 24×7 दाम देख सकता है और सिर्फ सौ रुपये से लेनदेन शुरू कर सकता है, तुरंत भी।

फिर भी त्योहारों या शादी में सोने का भौतिक रूप ही उपहार माना जाता है। इसलिए विज्ञापन कंपनियां ‘डिलीवर योर डिजिटल गोल्ड’ सुविधा पेश कर रही हैं, जहां निवेशक जमा की हुई यूनिट को सिक्के या गहनों में बदलवा सकता है। इस हाइब्रिड मॉडल ने भावनात्मक लगाव और आधुनिक सुविधा का अंतर कम किया है।

2025 के लिए विशेषज्ञों की सलाह

ब्रोकरेज हाउस मोतीलाल ओसवाल का अनुमान है कि 2025 तक, RBI आंकड़ों के साथ, सोना 2,600 डॉलर प्रति औंस छू सकता है, जो अभी के मुकाबले 12 प्रतिशत अपसाइड देता है। विशेषज्ञ 10-15 प्रतिशत अलोकेशन की सलाह देते हैं, ताकि पोर्टफोलियो में इक्विटी गिरावट संतुलित हो और रुपये के अवमूल्यन से बचाव सक्षम हो भी।

फाइनेंशियल प्लानर्स कहते हैं, लिक्विडिटी जरूरतों के अनुसार मिश्रण बनाएं: 40 प्रतिशत फिजिकल गहने, 30 प्रतिशत गोल्ड बॉन्ड, 30 प्रतिशत ईटीएफ। मल्टी-सिग्नेचर लॉकर या बीमा लेकर सुरक्षा जोखिम घटाएं, और हर तिमाही रिटर्न की समीक्षा करें। याद रखें, गोल्ड ‘शॉर्टकट रिच’ स्कीम नहीं, बल्कि लंबी अवधि का धीमा पर भरोसेमंद दोस्त है, हमेशा आपके साथ।

Disclaimer: यह लेख केवल सामान्य सूचना के लिए है; निवेश से पूर्व प्रमाणित वित्तीय सलाह ज़रूर लें।

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