Bihar Election 2025 Digital War: बिहार में 2025 के चुनाव से पहले सियासी पार्टियों ने डिजिटल मैदान में अपनी ताकत झोंक दी है। अब चुनावी जंग सिर्फ रैलियों और सभाओं तक सीमित नहीं रही, बल्कि फेसबुक से लेकर इंस्टाग्राम तक हर जगह सियासी बिसात बिछ गई है। जिस तरह से पार्टियां सोशल मीडिया पर एक-दूसरे पर हमले कर रही हैं, वह दिखाता है कि इस बार का चुनाव कितना दिलचस्प होने वाला है।
Bihar Election 2025 में सोशल मीडिया का बढ़ता रोल
बिहार के 2025 चुनाव में सोशल मीडिया पहले से कहीं ज्यादा अहम हो गया है। राज्य में करीब 4 करोड़ लोग इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं और इनमें से ज्यादातर सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं। पार्टियों को पता है कि अब वोटर टीवी से ज्यादा मोबाइल पर समय बिताते हैं। इसलिए हर पार्टी ने अपनी डिजिटल टीम बनाई है जो दिन-रात ऑनलाइन प्रचार में जुटी है।
पहले जहां नेता गांव-गांव जाकर वोट मांगते थे, अब वे एक वीडियो से लाखों लोगों तक पहुंच जाते हैं। इलेक्शन कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक इस बार डिजिटल खर्च पर खास नजर रखी जाएगी। युवा वोटर खासकर 18-35 साल के लोग सोशल मीडिया से ही राजनीतिक खबरें लेते हैं। इससे पार्टियों की रणनीति पूरी तरह बदल गई है।
Facebook, X और WhatsApp पर चुनावी जंग
फेसबुक पर हर पार्टी के हजारों पेज और ग्रुप एक्टिव हैं। यहां रोज़ हजारों पोस्ट डाली जाती हैं और लाइव वीडियो से रैलियां दिखाई जाती हैं। X (पहले ट्विटर) पर हैशटैग ट्रेंड कराने की होड़ लगी है। हर पार्टी अपने नेता को ट्रेंड कराने के लिए IT सेल लगाए हुए है। मीम्स और वीडियो क्लिप्स वायरल कराने की कोशिश होती है।
WhatsApp सबसे खतरनाक साबित हो रहा है क्योंकि यहां फेक न्यूज़ तेजी से फैलती है। हर पार्टी के हजारों WhatsApp ग्रुप हैं जहां से मैसेज फॉरवर्ड किए जाते हैं। BBC Hindi की रिपोर्ट के अनुसार फैक्ट चेकर्स को काफी मेहनत करनी पड़ रही है। इंस्टाग्राम रील्स और यूट्यूब शॉर्ट्स भी चुनावी प्रचार का हिस्सा बन गए हैं।
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पार्टियों की रणनीति
हर बड़ी पार्टी ने प्रोफेशनल डिजिटल एजेंसी हायर की है। ये एजेंसियां डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल करके टारगेट ऑडियंस तक पहुंचती हैं। जाति, उम्र और इलाके के हिसाब से अलग-अलग मैसेज भेजे जाते हैं। AI और मशीन लर्निंग से वोटर्स की पसंद समझी जाती है। पर्सनलाइज्ड कैंपेन चलाए जाते हैं जो हर वोटर को अलग तरीके से प्रभावित करते हैं।
पार्टियां इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग पर भी फोकस कर रही हैं। लोकल यूट्यूबर्स और इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर्स को पैसे देकर अपने पक्ष में कंटेंट बनवाया जाता है। वायरल कंटेंट बनाने के लिए क्रिएटिव टीम दिन-रात काम करती है। नेताओं के भाषण के छोटे-छोटे क्लिप्स बनाकर शेयर किए जाते हैं। विपक्षी पार्टी की गलतियों को तुरंत वायरल किया जाता है।
युवा वोटरों को लुभाने के लिए ऑनलाइन कैंपेन
बिहार में 18-35 साल के करीब 3 करोड़ वोटर हैं जो चुनाव का नतीजा बदल सकते हैं। इन्हें लुभाने के लिए पार्टियां गेमिंग ऐप्स, मीम पेज और एंटरटेनमेंट कंटेंट का सहारा ले रही हैं। रैप सॉन्ग, डांस वीडियो और कॉमेडी स्किट्स के जरिए राजनीतिक मैसेज दिए जाते हैं। युवाओं की भाषा में बात की जाती है।
ऑनलाइन क्विज़, कॉन्टेस्ट और गिवअवे से युवाओं को जोड़ा जाता है। वर्चुअल रैलियां और इंटरैक्टिव सेशन आयोजित किए जाते हैं। नेता गेमिंग स्ट्रीम में आकर युवाओं से बात करते हैं। कॉलेज और यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स को टारगेट करके स्पेशल कैंपेन चलाए जाते हैं। रोजगार और शिक्षा के मुद्दों को डिजिटल तरीके से उठाया जाता है।
Disclaimer: यह लेख विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और सार्वजनिक स्रोतों से ली गई जानकारी पर आधारित है। चुनावी रणनीतियों और डिजिटल कैंपेन में बदलाव हो सकते हैं। किसी भी पार्टी का पक्ष या विरोध करना इस लेख का उद्देश्य नहीं है।
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